अब गाड़ी नहीं, CCTV चलाएंगे दिल्ली! पुरानी कार? नो फ्यूल, नो मर्सी

शालिनी तिवारी
शालिनी तिवारी

सोचिए… गाड़ी की टंकी खाली, पेट्रोल पंप पर लंबी लाइन, और जैसे ही आपकी कार नंबर प्लेट स्कैन होती है, हूटर चीख पड़ता है—“वायलेशन डिटेक्टेड!” अब गाड़ी नहीं, शर्म से चेहरा लाल।
दिल्ली सरकार ने 1 जुलाई 2025 से “नो फ्यूल फॉर ओल्ड व्हीकल्स” नियम लागू कर दिया है, और जनता जैसे ड्राइविंग सीट से सीधे बेकसी की सीट पर पहुंच गई

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कौन-कौन हैं इस नियम के टारगेट में?

  • डीजल गाड़ियां: 10 साल से ज्यादा पुरानी? बाय-बाय!

  • पेट्रोल गाड़ियां: 15 साल की हुई? RIP फ्यूल!

इन गाड़ियों को अब दिल्ली में पेट्रोल-डीजल नहीं मिलेगा। पकड़ में आए, तो गाड़ी ज़ब्त और जेब साफ़—क्योंकि सरकार कह रही है, “अब सांस की कीमत फ्यूल से ज़्यादा है।”

कैमरे, हूटर और एलईडी बोर्ड: गाड़ी की RC बताएगी उसकी उम्र

अब पेट्रोल पंप नहीं, डिजिटल दरबार है। गाड़ी जैसे ही पंप पर आई, हाई-रिज़ॉल्यूशन कैमरे उसकी नंबर प्लेट को स्कैन करते हैं, RC से गाड़ी की उम्र निकाली जाती है।
अगर उम्र ज़्यादा हुई तो:

  • हूटर बजेगा

  • पुलिस एक्टिव होगी

  • और आपका मूड पूरी तरह से डिफ्यूज़ हो जाएगा।

कुछ पंपों पर एलईडी बोर्ड पर फ्लैश होता है – “पुरानी गाड़ी वालों, कृपया आगे न आएं!”

जनता का फ्यूल नहीं, गुस्सा भर रहा है

राजधानी में चल रहा है “पेट्रोल पंप विद्रोह!”
राजीव चौक पर एक सज्जन बोले:

“टैक्स हम दें, बीमा हम करवाएं, सर्विस हम कराएं, और अब तेल भी ना मिले? ये कौन सा लोकतंत्र है?”

मर्सिडीज चल रही है, लेकिन मारुति पर बैन?
ये फैसला बना है “ग़रीब हटाओ” नीति का लेटेस्ट एडिशन, जनता का आरोप।

गाड़ी में पेट्रोल नहीं, पर CCTV में आपकी फिल्म पक्की!

दिल्ली सरकार की तरफ से एक्शन मोड ऑन है:

  • ट्रैफिक पुलिस + ट्रांसपोर्ट विभाग = Fuel Strike Force

  • कैमरे सीधे जुड़े हैं गाड़ी की RC से

  • पंप मालिकों को चेतावनी – “तेल दिया, तो लाइसेंस गया।”

प्रदूषण पर सर्जिकल स्ट्राइक या मध्यम वर्ग पर मिसाइल?

सरकार का कहना है—“हर साल हजारों जानें जाती हैं, अब हम सख्त हैं।”
पर विपक्ष पूछ रहा है:

“क्या गरीबों की गाड़ी ही सबसे ज़्यादा धुआं छोड़ती है? या चुनाव आते ही सरकार को प्रदूषण याद आता है?”

बिल्कुल वैसा ही माहौल जैसे दीवाली पर पटाखे बैन, लेकिन फैक्ट्रियों को बख्श दो।

अब कहां जाएं पुरानी गाड़ी वाले?

  • EV खरीदें? जेब की सांस रुक जाएगी।

  • CNG में कन्वर्ट कराएं? लाइन में जिंदगी गुजर जाएगी।

  • DTC की बस पकड़ें? भीड़ देखकर खुद को ही स्क्रैप कर दें।

सरकार कह रही है – “स्क्रैप पॉलिसी आ रही है, कुछ सब्सिडी भी मिलेगी…”
पर लोग पूछ रहे हैं – “जब फ्यूल काट दिया, तो स्क्रैप तक पहुंचने कैसे?”

ये ‘हरित क्रांति’ है या ‘गरीब संहार नीति’?

दिल्ली सरकार के इस फैसले को कुछ लोग “ऐतिहासिक कदम” बता रहे हैं,
और कुछ कह रहे हैं –

“साफ़ हवा की कीमत हम क्यों चुकाएं, जब फैक्ट्रियों और AC मॉल्स को कोई फर्क नहीं पड़ता?”

गाड़ी नहीं रुकी, लेकिन सरकार ने ब्रेक मार दिया

अब दिल्ली में गाड़ियों के साथ-साथ गुस्सा, बहस, और विडियोज़ भी पेट्रोल पंपों पर लाइन में खड़े हैं।

शायद सरकार को ये सोचना चाहिए कि
“अगर गाड़ी बूढ़ी हो गई है, तो जनता को अपाहिज तो मत बनाओ!”

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